नौकरी में नहीं लगा मन, 10x10 के कमरे में शुरू किया ये बिजनेस, आज ऐसे खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

नई दिल्‍ली: चंडीगढ़ के सिद्धार्थ एस ओबेरॉय अमेरिका में प्रोजेक्ट इंजीनियर थे। उन्होंने नौकरी छोड़कर अपनी कंपनी बनाने का साहसिक फैसला लिया। सिद्धार्थ ने लेट्सशेव (LetsShave) नाम की कंपनी शुरू की। भारत लौटने पर वह डायमंड कोटिंग वाले रेजर ब्लेड पर

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नई दिल्‍ली: चंडीगढ़ के सिद्धार्थ एस ओबेरॉय अमेरिका में प्रोजेक्ट इंजीनियर थे। उन्होंने नौकरी छोड़कर अपनी कंपनी बनाने का साहसिक फैसला लिया। सिद्धार्थ ने लेट्सशेव (LetsShave) नाम की कंपनी शुरू की। भारत लौटने पर वह डायमंड कोटिंग वाले रेजर ब्लेड पर काम करने लगे। शुरुआत में उन्हें अम्बाला के एक छोटे से कमरे से हर महीने केवल 30 से 40 ऑर्डर मिलते थे। आज LetsShave को हर महीने 20,000 से अधिक ऑर्डर मिलते हैं। लेट्सशेव अब 100 से अधिक देशों में फैल गई है। कंपनी ने चार साल में 60 लाख डॉलर जुटाए हैं। विप्रो और रेजर बनाने वाली कोरियाई दिग्गज डोरको जैसी कंपनियों ने भी इसमें निवेश किया है। आइए, यहां सिद्धार्थ की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

2015 में रखी कंपनी की नींव

2015 में रखी कंपनी की नींव

सिद्धार्थ ओबेरॉय मूल रूप से चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। ओबेरॉय ने चंडीगढ़ के विवेक हाई स्कूल से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। फिर इंजीनियरिंग के लिए अमेरिका चले गए। उन्‍होंने पर्ड्यू यूनिवर्सिटी, सैपिएन्‍जा यूनिवर्सिटी ऑफ रोम और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी शिक्षा हासिल की। सिद्धार्थ ने अमेरिका में प्रोजेक्ट इंजीनियर से करियर बदलकर 2015 में लेट्सशेव की नींव रखी। कंपनी ने 2018 में डोरको और 2020 में विप्रो जैसी बड़ी कंपनियों से निवेश हासिल किया। लेट्सशेव हाई क्‍वाल‍िटी शेव‍िंग प्रोडक्‍टों की ब‍िक्री करती है।

यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान आया आइडिया

यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान आया आइडिया

सिद्धार्थ को इस कंपनी का विचार अमेरिका में अपनी यूनिवर्सिटी के डॉर्म रूम में आया था। बाजार में दूसरे ग्रूमिंग प्रोडक्ट्स के ढेरों विकल्प थे। लेकिन, शेविंग के सीमित ऑप्‍शन उन्हें निराश करते थे। तभी उन्होंने शेविंग इंडस्‍ट्री में कुछ अलग करने का फैसला किया। हालांकि, तब वह अपनी पढ़ाई पर फोकस कर रहे थे और आगे चलकर उन्होंने प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में नौकरी शुरू कर दी। लेकिन, यह विचार उनके मन में बना रहा। इस बीच उन्‍होंने अपने आइडिया को कुछ कंपनियों के साथ शेयर भी किया।

एक दिन अचानक मिली गुड न्‍यूज

एक दिन अचानक मिली गुड न्‍यूज

दो साल बीत गए और सिद्धार्थ अमेरिका में प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी करते रहे। हालांकि, उनका मन नहीं लग रहा था। एक दिन उन्हें पता चला कि कोरियाई फर्म उनके साथ साझेदारी करने के लिए तैयार हो गई है। तब उन्होंने नौकरी छोड़ दी और लेट्सशेव को शुरू करने के लिए 2015 में भारत लौट आए।

छोटे से कमरे से हुई थी शुरुआत

छोटे से कमरे से हुई थी शुरुआत

स‍िद्धार्थ ओबेरॉय ने लेट्सशेव की शुरुआत अम्बाला में 10x10 के एक छोटे से कमरे से की थी। शुरुआत में उन्हें हर महीने केवल 30 से 40 ऑर्डर ही मिलते थे। शुरुआती महीने निराशाजनक रहे क्योंकि उन्हें मुश्किल से एक लाख रुपये महीने की कमाई होती थी। अब कंपनी हर महीने लगभग 3 करोड़ रुपये कमा रही है। उसे 20,000 से अधिक ऑर्डर मिलते हैं। आज कंपनी का कारोबार 100 से अधिक देशों में फैल गया है। विप्रो और कोरियाई दिग्गज डोरको जैसी बड़ी कंपनियों ने भी कंपनी में हिस्सेदारी ली है। हालांकि, 70 फीसदी हिस्सेदारी अभी भी ओबेरॉय के पास है। कंपनी की वर्थ करीब 54 करोड़ रुपये की हो गई है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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